
New Education Policy 2020 : रायपुर, (नईदुनिया प्रतिनिधि)। अंक के बजाय ज्ञान पर आधारित शिक्षा व्यवस्था की वकालत कर रहे शिक्षाविदों ने आखिरकार नई शिक्षा नीति में आमूलचूल परिवर्तन लाने के लिए महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। विशेषज्ञों का दावा है कि स्कूलों में 10वीं -12वीं बोर्ड परीक्षा अब दो बार होगी। ऐसा करने से बच्चों में अंकों को लेकर चल रही होड़ कम होगी और कोचिंग संस्थानों के प्रति निर्भरता भी कम हो जाएगी। बोर्ड परीक्षाओं को लेकर छात्र हमेशा दबाव में रहते हैं और ज्यादा अंक लाने के चक्कर में कोचिंग पर निर्भर हो जाते हैं, लेकिन भविष्य में उन्हें इससे मुक्ति मिल सकती है। नई नीति के तहत कक्षा तीसरी, पांचवीं और आठवीं में भी परीक्षाएं होंगी, जबकि 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षाएं बदले स्वरूप में जारी रहेंगी।
पिछले साल केंद्रीय बोर्ड ने दसवीं में प्रश्नों के पूछे जाने का पैटर्न सरल और औसत कर दिया था। कठिन सवाल बमुश्किल 20 से 40 फीसदी थे, जबकि सरल और औसत प्रश्नों की संख्या 60 से 80 फीसदी रखी गई थी।
ये बड़े बदलाव
साल में दो बार 10वीं -12वीं की परीक्षाएं कराना
दो हिस्सों में वस्तुनिष्ठ (ऑब्जेक्टिव) और व्याख्यात्मक परीक्षा
कक्षा तीन, पांच एवं आठवीं में भी परीक्षाएं

यह होगा फायदा
ज्ञान के परीक्षण से छात्रों में रटने की प्रवृत्ति खत्म होगी।
अंक लाने के चक्कर में कोचिंग पर निर्भर हो जाते हैं, इसमें कमी आएगी
बोर्ड परीक्षाओं के प्रैक्टिकल मॉडल को तैयार करेंगे
जैसे वार्षिक, सेमिस्टर और मोड्यूलर बोर्ड परीक्षाएं।
आधे चैप्टर से छह माह में परीक्षा
इस नीति में कक्षा नौवीं से 12 में सेमेस्टर सिस्टम लागू किए जाने से वर्ष में दो बार परीक्षा होंगी अर्थात 10वीं बोर्ड में यदि हिंदी में 12 चेप्टर हैं तो पहले सेमेस्टर में 06 चैप्टर आएंगे और छह माह बाद दूसरे सेमेस्टर में बाकी बचे 06 चैप्टर आएंगे। इस प्रकार परीक्षा में सिलेबस का बोझ कम किया जाएगा। – संजय जोशी, शिक्षाविद
रटंत पढ़ाई होगी खत्म
प्रश्न ऐसे तैयार किए जाएंगे कि रटने के स्थान पर विद्यार्थी अपनी सोच का उपयोग अधिक करें। विद्यार्थी अपने विजन, इमेजिनेशन, इनोवेशन के अनुसार उत्तर लिखेंगे। विद्याथिर्यों की वास्तविक क्षमताओं और योग्यताओं को परखा जा सकेगा।- रघुनाथ मुखर्जी, प्राचार्य , दिल्ली पब्लिक स्कूल
अहमियत कम होने का खतरा भी
छात्रों को रटना नहीं, समझ विकसित करने का मौका मिलेगा, दो बार परीक्षा का आयोजन करने से छात्रों का तनाव कम होगा। अभी उन्हें पूरे कोर्स का ज्ञान तीन घंटे में प्रदर्शित करने का तनाव होता है, उसमें कमी आएगी। बोर्ड परीक्षा को आसान कर देने से छात्रों में इसकी अहमियत कम होने का खतरा भी हो सकता है। आसान समझ कर वे परीक्षा के लिए अच्छी तैयारी नहीं भी कर सकते हैं। – विद्या सक्सेना, प्राचार्य, पीजी उमाठे हायर सेकंडरी स्कूल शांति नगर, रायपुर।
दबाव कम करने की कोशिश है
लगातार यह बात आ रही है कि परीक्षार्थियों में परीक्षा को लेकर दबाव है। जिस तरह नीति सामने लाई गई है, उसमें यह कहा जा रहा है कि इसमें दबाव कम होगा। नीति पर अमल करने के बाद इसके क्या परिणाम होंगे, पता चल पाएगा। फिलहाल यह मानना है कि तनाव कम होगा। – विजय खंडेलवाल, प्राचार्य, दानी गर्ल्स स्कूल
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